Dr. Baksh and Dr. Kandeel – A Night of Fear, Trust, and Betrayal | Emotional Hindi Story

 



डॉ बख्श  कंदील के होश में आने का वेट करने लगे।

फिर उन्हें कुछ याद आया।

उन्होंने मोबाइल अपने पॉकेट से बाहर निकाला।

हाउ डेयर यू डॉक्टर समीर। 😡😡😡😡😡😡 तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई  डॉक्टर कंदील को टच करने की ।

डॉक्टर बख्श ने समीर को एसएमएस किया।

डॉक्टर बख्श का गुस्सा किसी तरह कम नही हो रहा था।

डॉ समीर का नेट शायद ऑफ था।

इसीलिए डॉक्टर बख्श का एसएमएस सीन ही नहीं हुआ। नहीं तो डॉक्टर बख्श  इस वक्त  बहुत कुछ सुना देते । चैट पर ही जाने क्या-क्या डॉक्टर समीर को बोल देते?

डॉक्टर बख्श ने एक नजर कंदील के ऊपर डालीं। 

कंदील कसमसा ने लगी थी।

मतलब कि उसको होश आने लगा था।

जैसे ही कंदील को  होश आया वह टेन्ट के चारो तरफ देखने लगी।

उसके समझ में नहीं आ रहा था कि इस वक्त  वो कहां मौजूद है?

फिर  कई मिनट पूरे टेन्ट का जायजा लेने के बाद, उसको याद आया। 

की किस तरह से डॉक्टर समीर ने उसे जकड़ रखा था।

और कितनी बदतमीजी की थी। 

वह दहशत नाक मंजर, जैसे ही कंदील के जहन में आया। नहीं नहीं डॉक्टर समीर,ऐसा मत कीजिए। 

कंदील चीखती हुई  ऊठ कर बैठ गई।

कंदील के इतनी तेज चीखने पर डॉक्टर बख्श एकदम कंदील के नजदीक आ गए।

और उसके सर को अपने सीने से लगा लिया।

प्लीज प्लीज डॉक्टर समीर, छोड़ दीजिए मुझे ,प्लीज छोड़ दीजिए। 

जैसे ही डॉक्टर बख्श ने कन्दील के सर को अपने सीने से लगाया।

कंदील ने उनको हटाना शुरू कर दिया।

रिलैक्स। 

यह मैं हूं डॉक्टर बक्श,रिलैक्स हो जाओ कंदील 

डॉक्टर बख्श ने कन्दील के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।

कंदील ने उनके सीने से सर हटा कर डॉक्टर बख्श की तरफ देखने लगी।

डॉक्टर बख्श आप, कंदील का चीखना थोड़ा कम हुआ था। अब उसने दोबारा डॉक्टर बख्श के सीने मे अपना सर छुपा लिया। 

डॉक्टर बख्श की बाहों में, उसे बहुत सेव महसूस हो रहा था। कंदील को याद आया ,जब डॉक्टर समीर उसे पकड़ा हुआ था। 

और वह खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी।

उस वक्त, किसी ने बहुत तेज उसे पुकारा था। 

उसके बाद वह बेहोश हो गई थी। 

उसकी अब समझ में आ रहा था कि उसे पुकारने वाला शख्स कोई और नहीं। 

बल्कि डॉक्टर बख्श थे।

सैफ डॉक्टर समीर ने मेरे साथ , कंदील ये लफ्ज कहकर मुंह पर हाथ रखकर रोने लगी।


रिलैक्स कंदील रिलैक्स।

सोच लो कि तुमने कोई बुरा ख्वाब देखा है ।

और अब तुम नींद से जाग गई हो।

बुरी जगह से निकाल कर अब तुम सही जगह पर आ गई हो। 

डॉक्टर बख्श उसके सर को सहला रहे थे।

डॉक्टर समीर की वजह से कन्दील बुरी तरह डर गई थी।

वह किसी बच्चे की तरह डॉक्टर बख्श के सीने से लिपटी हुई थी।

सैफ मैं नहीं जानती थी, कि डॉक्टर समीर ऐसे इंसान है।

मैं तो उन्हें बहुत अच्छा इंसान समझती थी।

कंदील रोते हुए हिचकियों के दरमियान डॉक्टर बख्श से कह रहे थे। 

कंदील यह दुनिया हवसयिऐ शैतान और हवसयिऐ भेड़िया से भरी हुई है।

तो किसी पर भी इतनी जल्दी भरोसा करने की कोई जरूरत नहीं है।

और खासकर है कि किसी लड़की को, तो किसी पराए इन्सान पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है।

डॉ बक्श ने कहा।

वह पूछना चाहते थे ,कि  रात के उस वक्त डॉक्टर कंदील, डॉक्टर समीर के साथ टेन्ट के बाहर इतनी रात को अकेले में क्या कर रही थी? 

लेकिन कंदील की हालत इस तरह की थी कि ,उन्होंने यह सवाल पूछना मुनासिब ही नहीं समझा।

कंदील कूल डाउन, तुम एक डॉक्टर हो ,और जेब नहीं देता की एक डॉक्टर इस तरह से डर कर रोने लगे। 

डॉ बख्श ने कंदील को अपने से सीने से हटाकर, उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़ा।

और उसकी तरफ देखते हुए उसे समझने लगे।

ऐसे भेड़िया का डट कर सामना करना चाहिए। 

क्योकी हमे नही पता के इस तरह के कितने लोग हमारे दरमियान मौजूद है।

डॉक्टर बख्श कंदील को हौसला दे रहे थे।

कंदील का पूरा चेहरा आंसुओं में भीग रहा था

डॉ बख्श आपसे ज्यादा कौन जान सकता है कि मैं कितनी बहादुर हूं? 

कंदील ने कहा।

बहादुर और तुम, डॉ बक्श ने यह लफ्ज कहे, और उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई।

कंदील अपना रोना भूल कर, डॉ बख्श की मुस्कुराहट को देखने लगी।

आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं सर?

कंदील ने कहा।

तुम बहादुर हो ना ,इसलिए मैं मुस्कुरा रहा हूं।

डॉक्टर बख्श को कंदील के मुंह से सैफ कहना बहुत अच्छा लगता था।

ठीक है अब मैं सुबह आपसे मुखातिब होऊँगा ।

कंदील, इस वक्त मेरा भी यहां रहना ठीक नहीं है, आप आराम से मेरे टेन्ट में सो जाइए। 

डॉक्टर बख्श ने कहा।

और   कंदील का चेहरा छोड़कर, जाने के लिए। टेन्ट के बाहर की तरफ का रुख किया।

तभी उन्हें अपने हाथ पर किसी का हल्का सा दबाव महसूस हुआ।

उन्होंने मोड कर देखा ,तो कंदील उनका हाथ पकड़े हुई थी।

उन्होंने सवालिया नजरों से कंदील की तरफ देखा। 

सैफ प्लीज,आज आप मुझे छोड़ कर मत जाइए। 

मुझे बहुत डर लग रहा है, कंदील ने डॉक्टर बख्श से रिक्वेस्ट की।

डॉ बख्श को इस वक्त कंदील का चेहरा देखकर।

उसके भोलेपन पर बहुत तरस आ रहा था।

कूल डाउन मिसेज बख्श,घबराने की और डरने की कोई जरूरत नहीं।

आप मेरी रिस्पांसिबिलिटी हो, यह मैं अच्छी तरह से जानता हूं। 

और मैं कहीं नहीं जा रहा हू, मैं टेन्ट के बाहर रहकर आपकी हिफाजत करूंगा। 

बट मेरा टेन्ट में आपके साथ रुकना ठीक नहीं है। 

क्योंकि यहां पर लोगों की 10 तरह की बातें होंगी?

जिससे आप और मैं दोनों ही, बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। 

डॉक्टर बख्श ने बहुत ही समझदारी वाला जवाब कंदील को दिया।

डॉ बक्श ने देखा, कि जब डॉक्टर बख्श ने यह कहा।

कि डॉक्टर बख्श कंदील की हिफाजत पूरी तरह से करेंगे और उसके टेन्ट के बाहर खड़े हुए हैं। 

कंदील के चेहरे पर एक सुकून आ गया था।

घबराने की जरूरत नहीं है ओके, उन्होंने हल्का सा थप्पड़ कंदील के सिर पर लगाया।

  टेन्ट के बाहर चले गए। 

कंदील उन्हें जाते हुए देखने लगी। 

वह सोचने लगी कि अगर आज यह शख्स नहीं होता।

तो उसके साथ क्या हो सकता था? 

जिसको अपना समझा था उसने, उस शख्स ने कितनी गिरी हुई हरकत की थी कंदील के साथ।

और जो सच में उसका अपना था, उसे पर हमेशा शक ही किया था कंदील ने। 

कंदील को आज अपनी की हरकत पर  पछतावा हो रहा था।


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